GuruPurab पर केंद्र का बड़ा फैसला, तीनो कृषि कानून वापिस लिए गए , 14 महीने बाद तीनों कृषि कानून वापस

GuruPurab पर केंद्र का बड़ा फैसला, तीनो कृषि कानून वापिस लिए गए

#GuruPurab पर केंद्र का बड़ा फैसला, तीनो कृषि कानून वापिस लिए गए.. PM@NarendraModi बोले "जो कर रहा हूँ देश के लिए कर रहा हूँ"

पिछले एक साल से किसान आंदोलन की वजह बने तीनों नए कृषि कानून केंद्र सरकार ने वापस ले लिए हैं। शुक्रवार को देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने यह बड़ा ऐलान किया। अपने 18 मिनट के संबोधन में मोदी ने कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को नेक नीयत के साथ लाई थी, लेकिन यह बात हम किसानों को समझा नहीं पाए।

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मोदी ने कहा कि हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें एतराज था उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों मैं आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है यह समय किसी को दोष देने का नही है। मैं आज यह पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला लेने का फैसला करता हूं। इसी महीने हम इसे वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।

किसानों पर केंद्रित रहा मोदी का 18 मिनट का संबोधन

सुबह 9 बजे शुरू हुआ उनका संबोधन कोरोना के दौर में देश के नाम 11वां संदेश था। प्रधानमंत्री के पूरे संबोधन को यहां देखा जा सकता है..

प्रकाश पर्व की शुभकामनाओं के साथ शुरुआत की

मोदी ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरुनानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया है। गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढ़ियां जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश कर रहा है।

किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता

प्रधानमंत्री ने कहा- मैंने किसानों की परेशानियों और चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है। जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा का मौका दिया, तो हमने किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। बहुत लोग अनजान हैं कि देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हैक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है।

मोदी ने कहा कि ये किसान इसी जमीन से अपने परिवार का गुजारा करते हैं, इसलिए देश के छोटे किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिए बाजार, बीमा, बीज और बचत पर चौतरफा काम किया। हमने किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ नीम कोटेड यूरिया और सॉयल हेल्थ कार्ड जैसी सुविधा दी। इन प्रयासों से प्रोडक्शन बढ़ा। हमने फसल बीमा योजना से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा। बीते चार साल में एक लाख करोड़ से अधिक का मुआवजा किसान भाई-बहनों को मिला है।

PM ने कहा- हम छोटे किसानों के लिए बीमा और पेंशन की सुविधा भी लाए। हम उनकी सुविधाओं को ध्यान रखते हुए उनके खातों में सीधे एक लाख 62 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। उन्हें उनकी उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी कई कदम उठाए। इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया, MSP बढ़ाई। इससे उपज के पिछले कई रिकॉर्ड टूट गए है। देश की मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़कर किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने का प्लेटफॉर्म दिया। कृषि मंडियों पर करोड़ों रुपए खर्च किए। पहले के मुकाबले देश का कृषि बजट 5 गुना बढ़ गया है।

हम छोटे किसानों के फायदे के लिए तीनों कृषि कानून लाए थे

मोदी ने कहा कि किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए दस हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की भी प्लनिंग है, इस पर 7 हजार करोड़ रुपए का फंड खर्च किए जा रहे हैं। हमने क्रॉप लोन बढ़ा दिया। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। साथियों किसानों की इसी अभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। देश के किसानों को खासकर छोटे किसानों को फायदा हो। यह मांग देश में लंबे समय से होती रही थी। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और यह कानून लाए गए। देश में अनेक किसान संगठनों ने इसका संमर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। धन्यवाद करता हूं।


मोदी ने कहा- नेक नीयत से कानून लाए, लेकिन समझा नहीं पाए

हमारी सरकार किसानों के लिए खासकर छोटे किसानों के हित में पूरी सत्य निष्ठा से किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से यह कानून लेकर आई थी, लेकिन यह हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। हमने किसानों की बातों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें एतराज था उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों मैं आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है यह समय किसी को दोष देने का नही है। मैं आज यह पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला लेने का फैसला करता हूं। इसी महीने हम इसे वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।

दिवाली पर 100 करोड़ वैक्सीनेशन पर बधाई दी थी

कोरोना काल के 20 महीने में मोदी 10 बार राष्ट्र को संबोधित कर चुके हैं। यह इस साल का उनका चौथा संबोधन है। दिवाली से पहले दिए 20 मिनट के संबोधन में मोदी का ज्यादातर फोकस कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज पूरे होने और महामारी से निपटने के तरीकों पर रहा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने एक संदेश भी दिया कि महामारी के वक्त जो सवाल उठे थे, देश ने उनके जवाब दे दिए हैं। साथ ही साथ उन्होंने अर्थव्यवस्था, किसानों और त्योहारों का भी जिक्र किया, तो मास्क को लेकर नया मंत्र भी दिया।

नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून 2020 में किए गए प्रावधानों को लेकर हंगामा जारी है। खासकर हरियाणा और पंजाब के किसानों में आशंकाओं के बादल घुमड़ रहे हैं कि नए कृषि कानून मंडियों को खत्म कर देंगे, एमएमपी पर उपज बिकने बंद हो जाएंगे। इन्हीं आशंकाओं के बीच बुधवार को किसानों का विरोध-प्रदर्शन बुधवार को सातवें दिन में प्रवेश कर गयाा। सवाल जो उठता है कि क्या सचमुच कृषि कानून में ऐसे कानूनों का प्रावधान है, जिससे भविष्य में किसान एमएमपी पर अपनी फसल नहीं बेच सकेंगे और मंडी और आढ़तिए गायब हो जाएंगे।

क्या है कृषि कानून 2020 और क्या है नए प्रावधान?

मोदी सरकार ने संसद में दोनों सदनों में कृषि कानून से जुड़े कुल जमा तीन विधेयक पास करवाए थे। पहला विधयेक, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधयेक 2020। इसके अनुसार किसान अपनी फसल अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं। य़हां पर कोई भी दखलंदाजी नहीं कर सकता है। य़ानी कि एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस कमेटी (एपीएमसी) के बाह भी फसलों को किसान बेच-खरीद सकते हैं। फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, किसान फसल का ऑनलाइन भी बेच सकते हैं। दूसरा विधेयक, मूल्या आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण व संरक्षण) अनुबध विधेयक 2020। इसके अनुसार देशबर में कांट्रैक्ट फॉर्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्वाव है। फसल खराब होने पर कांट्रैक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी। किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे। इससे उम्मीद जताई गई है कि किसानों की आय बढ़ेगी। तीसरा विधेयक, आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020। आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल, आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। अति आवश्यक होने पर स्टॉक लिमिट लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा शामिल है। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।

संशोधित विधेयक के जरिए जम्मू-कश्मीर से समाप्त हुआ अनुच्छेद 370 भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 और 35 ए को ख़त्म करने का फ़ैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इसका फ़ैसला हुआ, जिसका ऐलान गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में किया। इसके साथ ही 71 वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्ज छीन लिया गया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए ने जम्मू कश्मीर को अलगाववाद, आतंकवाद, परिवारवाद और व्यवस्था में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं दिया। उन्होंने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त किए जाने को ऐतिहासिक बताया।


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