हिंदी करेंट अफेयर्स प्रश्नोत्तरी : 14-15 नवम्बर, 2021
1. “Retail Direct Scheme” और “Integrated Ombudsman Scheme” किस संगठन द्वारा लांच की गई हैं?
उत्तर – भारतीय रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक की “Retail Direct Scheme” और “Integrated Ombudsman Scheme” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लांच की गई और राष्ट्र को समर्पित की गई। Retail Direct Scheme के तहत, खुदरा निवेशक सरकारी प्रतिभूतियों को ऑनलाइन खरीद और बेच सकते हैं। Integrated Ombudsman Scheme ग्राहकों की शिकायतों पर शिकायत निवारण तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करती है।
रिटेल डॉयरेक्ट स्कीम (Retail Direct Scheme) के जरिए सरकार के प्रतिभूतियों में रिटेल निवेशकों ( Retail Investors) को निवेश बढ़ाने के लिए आकर्षित करने में मदद मिलेगी. इस स्कीम के तहत रिटेल निवेशक केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए प्रतिभूतियों (Securities) में सीधा निवेश कर सकेंगे.
इन योजनाओं की शुरुआत
इन योजनाओं की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के इस चुनौतीपूर्ण कालखंड में वित्त मंत्रालय ने, आरबीआई और अन्य वित्तीय संस्थाओं ने बहुत प्रशंसनीय कार्य किया है. मुझे विश्वास है कि आरबीआई देश की उम्मीदों पर खरा उतरेगा. पिछले 6-7 सालों में केंद्र सरकार ने आम भारतीय की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए काम किया है.
रिटेल डॉयरेक्ट स्कीम से क्या होगा लाभ
रिटेल डॉयरेक्ट स्कीम (Retail Direct Scheme) के जरिए सरकार के प्रतिभूतियों में रिटेल निवेशकों ( Retail Investors) को निवेश बढ़ाने के लिए आकर्षित करने में मदद मिलेगी. इस स्कीम के तहत रिटेल निवेशक केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए प्रतिभूतियों (Securities) में सीधा निवेश कर सकेंगे. निवेशक आरबीआई के पास सरकारी प्रतिभूति अकाउंट (Government Securities Accounts) ऑनलाइन खोल सकेंगे. इसके लिए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा.
इंटीग्रेटेड ओमबड्समैन स्कीम से क्या होगा फायदा
इंटीग्रेटेड ओमबड्समैन स्कीम (Integrated Ombudsman Scheme) के जरिए ग्राहकों के शिकायतों के निवारण में आसानी होगी. आरबीआई द्वारा रेग्युलेटेड वित्तीय संस्थानों जिसमें बैंक, पेमेंट बैंक शामिल हैं. वित्तीय संस्थानों की मनमानी के खिलाफ ग्राहक इंटीग्रेटेड ओमबड्समैन स्कीम के जरिए आरबीआई के पास शिकायत कर सकेंगे.
वन नेशन-वन ओमबड्समैन (One Nation-One Ombudsman) यानी ‘एक देश, एक लोकपाल’ के मुख्य थीम के साथ इसे शुरू किया गया है. इसके तहत एक पोर्टल पर एक ईमेल आईडी और एक पते के जरिए ग्राहक आरबीआई के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे. ये सिंगल प्वाइंट होगा, जहां ग्राहक शिकायत करेंगे, कागजात जमा कर सकेंगे और साथ ही अपने शिकायत का स्टेट्स भी चेक कर सकेंगे. इसके अलावा ग्राहक टोल फ्री नंबर पर फोन कर अपनी भाषा में शिकायत दर्ज कराने और निवारण के लिए मदद ले सकेंगे.
निवेश के दायरे का विस्तार होगा: पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा, ‘आरबीआई ने भी आम भारतीय को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं. आज जिन दो योजनाओं को लॉन्च किया गया है, उनसे देश में निवेश के दायरे का विस्तार होगा और कैपिटल मर्केट्स को एक्सेस करना निवेशकों के लिए अधिक आसान, अधिक सुविधाजनक बनेगा.’ उन्होंने कहा, ‘खुदरा प्रत्यक्ष योजना में, हमारे देश के छोटे निवेशकों ने सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने का एक सुरक्षित और आसान तरीका खोज लिया है.’
आकार ले चुका एक राष्ट्र, एक लोकपाल: पीएम
पीएम मोदी ने कहा, ‘एकीकृत लोकपाल योजना के तहत ‘एक राष्ट्र, एक लोकपाल’ आकार ले चुका है. यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक ग्राहक निवारण परेशानी मुक्त और समयबद्ध तरीके से होगा. आज, जब देश डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अभूतपूर्व निवेश कर रहा है,
प्रत्येक निवेशक की भागीदारी महत्वपूर्ण होने जा रही है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘अभी तक गर्वमेंट सिक्यूरिटी मार्केट में हमारे मध्यम वर्ग, कर्मचारी, छोटे व्यापारी, वरिष्ठ नागरिकों को सिक्योरिटीज में निवेश के लिए बैंक इंश्योरेंश या म्यूचल फंड जैसे रास्ते अपनाने पड़ते थे. अब उन्हें सुरक्षित निवेश का एक और बेहतर विकल्प मिल रहा है.’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा
प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा, ‘आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम के तहत किसी फंड मैनेजर की जरूरत नहीं होगी. एक खुदरा प्रत्यक्ष गिल्ड खाता ऑनलाइन खोला जा सकता है और प्रतिभूतियों को ऑनलाइन खरीदा / बेचा जा सकता है. वेतनभोगी लोगों/पेंशनभोगियों के लिए सुरक्षित निवेश का यह एक बड़ा अवसर है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘बीते 7 सालों में, NPAs को पारदर्शिता के साथ Recognize किया गया.
Resolution और recovery पर ध्यान दिया गया. पब्लिक सेक्टर बैंकों को Recapitalize किया गया. फाइनेंशियल सिस्टम और पब्लिक सेक्टर बैंकों में एक के बाद एक रिफॉर्म्स किए गए. बैंकिंग सेक्टर को और मजबूत करने के लिए को-ऑपरेटिव बैंकों को भी आईपीआई के दायरे में लाया गया. इससे इन बैंकों की गवर्नेंस में भी सुधार आ रहा है और जो लाखों जमाकर्ता हैं, उनके भीतर भी इस सिस्टम के प्रति विश्वास मजबूत हो रहा है.’
2. कौन सा देश 2022 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP27 की मेजबानी करेगा?
उत्तर – मिस्र
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन – पार्टियों का सम्मेलन (UNFCCC COP) 27 की मेजबानी वर्ष 2022 में मिस्र द्वारा की जाएगी और COP 28 की मेजबानी 2023 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा की जाएगी।
सीओपी या कॉप दुनिया के 200 देशों वाले यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क ऑन क्लाइमेट चेंज कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। इस बार इसकी 26वीं बैठक होने जा रही है, इसलिए इसे कॉप 26 कहा जा रहा है।
2050 तक काॅर्बन उत्सर्जन का शून्य लक्ष्य हासिल करना। यानी जितना काॅर्बन उत्सर्जित हो उतना वातावरण में पेड़ों या तकनीक के द्वारा अवशोषित कर लिया जाए। इसके अलावा वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस की अधिकतम वृद्धि तक सीमित रखना।
- सदस्यों और प्राकृतिक आवासीय क्षेत्रों के संरक्षण के लिए सदस्य देशों को एकजुट करना।
- विकसित देशों को वादे के अनुसार 2020 तक सालाना कम से कम 100 अरब डॉलर जलवायु वित्त उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करना
- अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थाओं को वैश्विक स्तर पर शून्य उत्सर्जन सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने के लिए तैयार करना।
- पेरिस समझौते को सक्रिय बनाने वाले पेरिस नियमावली को अंतिम रूप देना।
- सरकारों, उद्योगों और सिविल सोसायटी के बीच साझेदारी बढ़ाना।
आईपीसीसी की छठी रिपोर्ट...
- काॅर्बन और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में व्यापक कटौती न होने पर वैश्विक तापमान बढ़ोतरी 2 डिग्री से ज्यादा हो जाएगी।
- ग्लोबल वार्मिंग जारी रहने से मौसम का चरम रुख और उग्र होने की आशंका
- ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस होने पर जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों में होने वाले बदलाव व्यापक होंगे।
- मानव जनित ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए काॅर्बन उत्सर्जन को शून्य पर लाना होगा।
- मीथेन उत्सर्जन में ठोस कटौती से एयरसोल प्रदूषण गिरेगा, इससे तापमान में बढ़ोतरी रुकेगी और हवा की गुणवत्ता सुधर जाएगी।
इस सम्मेलन से क्या उम्मीदें?
- जलवायु परिवर्तन रोकने के लक्ष्यों और सदस्य देशों की नीतियों में मौजूद अंतर दूर करने के प्रयास हो सकते हैं।
- काॅर्बन क्रेडिट की खरीद-फरोख्त के लिए काॅर्बन मार्केट मशीनरी बनाना।
- सर्वाधिक जोखिम वाले देशों की क्षतिपूर्ति को वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करना।
विकसित देश तोड़ रहे भरोसा
कॉप-26 सम्मेलन में विकसित और विकासशील देशों के बीच बढ़ते अविश्वास पर क्लाइमेट ट्रेंड की संस्थापक और डायरेक्टर आरती खोसला कहती हैं, जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए विकसित देश ही जिम्मेदार हैं। जो पैसा और तकनीक देने को कहा था वो तो आया नहीं। इससे विकासशील देशों का भरोसा टूटने लगा है।
आरती खोसला कहती हैं, अभी भारत में विकास के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता है। इसलिए ‘नेट जीरो’ घोषित करना संभव नहीं होगा। भारत को कम समय का लक्ष्य तय करके आगे बढ़ना ज्यादा सही है।
पेरिस समझौते पर अमल के हाल
12 दिसंबर 2015 को 196 देशों ने बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 4 नवंबर 2016 से लागू।
इसके तहत ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस और आदर्श स्थिति में 1.5 डिग्री तक सीमित करना।
समझौते में शामिल देशों को काॅर्बन उत्सर्जन कटौती के लिए पांच और दस साल के राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाने होंगे और नियमित रूप से इसकी समीक्षा करने होगी। आर्थिक रूप से कमजोर देशों को ये लक्ष्य हासिल करने के लिए विकसित देश आर्थिक भार वहन करेंगे।
जलवायु परिवर्तन रोकने में मददगार तकनीक सभी देश एक दूसरे से साझा करेंगे।
3. भारत में हवाई अड्डों को किस अधिनियम के नियमों के अनुसार “प्रमुख हवाई अड्डे” के रूप में घोषित किया जाता है?
उत्तर – हवाईअड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनियम
भारत सरकार ने हवाईअड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 के तहत महाराष्ट्र में शिरडी हवाई अड्डे को एक प्रमुख हवाई अड्डे के रूप में घोषित किया है। इस अधिनियम की धारा 13 के तहत, हवाईअड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण (Airports Economic Regulatory Authority – AERA) प्रमुख हवाई अड्डे में प्रदान की जाने वाली वैमानिकी सेवाओं से संबंधित टैरिफ का निर्धारण करेगा।
4. “राज्य लोक प्रशासन संस्थानों का सुदृढ़ीकरण” (Strengthening the State Institutes of Public Administration) पर दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन किस स्थान पर आयोजित किया गया?
उत्तर – लखनऊ
भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग ने उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से लखनऊ में “राज्य लोक प्रशासन संस्थानों का सुदृढ़ीकरण” विषय पर दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य शासन और प्रशासनिक प्रशिक्षण में सर्वोत्तम प्रथाओं और आवश्यकताओं को साझा करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों को एक मंच पर लाना था।
5. “ऐतिहासिक प्रस्ताव” (Historical Resolution), जो हाल ही में चर्चा में है, किस देश से संबंधित है?
उत्तर – चीन
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने “ऐतिहासिक प्रस्ताव” (Historical Resolution) नामक एक ऐतिहासिक प्रस्ताव को अपनाया है, जो सत्तारूढ़ राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अगले साल कार्यालय में एक अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल को सुरक्षित करने और जीवन भर चीन पर शासन करने में सक्षम करेगा। इस प्रस्ताव को अपनाने से, उन्हें प्रतिष्ठित अतीत के नेताओं माओ ज़ेडोंग (Mao Zedong) और देंग शियाओपिंग (Deng Xiaoping) के बराबर रखा गया है और ऐतिहासिक प्रस्ताव वाले चीन के तीसरे नेता बन गए हैं।
जिनपिंग की शक्तियों का विस्तार
चीन में 8 नवंबर से शुरू हुआ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का 19वां अधिवेशन 11 नवम्बर तक चलेगा. ये आयोजन दो वजहों से काफी महत्वपूर्ण है. पहला इसमें चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अधिकार क्षेत्र को और मजबूत किया जाएगा दूसरा इस अधिवेशन में चीन की Communist Party द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसे ऐतिहासिक प्रस्ताव (Historical Resolution) कहा जा रहा है. हम आपको इस प्रस्ताव के बारे में भी बताएंगे, लेकिन पहले आप ये समझिए कि शी जिनपिंग की शक्तियों का विस्तार दुनिया के लिए चिंताजनक क्यों हैं?
2018 में बदला कानून
वर्ष 2018 तक चीन में ये कानून था कि वहां कोई भी नेता 10 साल से ज्यादा समय तक राष्ट्रपति नहीं बने रह सकता था. ये कानून डेंग शाओ-पिंग लेकर आए थे, जो साल 1978 से 1989 तक चीन के राष्ट्रपति थे. उनके बाद चीन में जितने भी राष्ट्रपति आए, उन्होंने इस कानून का पालन किया और अपने दूसरे कार्यकाल के बाद राष्ट्रपति का पद छोड़ दिया. लेकिन शी जिनपिंग ने वर्ष 2018 में अपना पहला कार्यकाल पूरा करते ही इस कानून को बदल दिया. और नई प्रस्तावना में ये लिखा गया कि अब अधिकतम 10 साल तक राष्ट्रपति बने रहने की शर्त समाप्त हो गई है.
यानी इस हिसाब से मौजूदा अधिवेशन में सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि क्या 68 साल के शी जिनपिंग को चीन का आजीवन राष्ट्रपति घोषित किया जाएगा? क्योंकि वो अगले साल बतौर राष्ट्रपति अपने 10 साल पूरे करने वाले हैं. अगर ऐसा होता है तो इसमें दूसरे देशों के साथ भारत के लिए भी एक संदेश होगा. और वो संदेश ये है कि भारत को अगले कई वर्षों तक चीन के एक ऐसे राष्ट्रपति के साथ डील करना पड़ेगा, जिसकी विस्तारवाद को लेकर आक्रामक नीतियां हैं.