कोरोना का नया स्ट्रेन 10 दिन में ही 35 देशों तक पहुंचा, इससे बचने के लिए क्या करें.. जानें सबकुछ
दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मिलने के बाद कर्नाटक में भी गुरुवार को इसके दो मामले सामने आए हैं। 24 नवंबर को ओमिक्रॉन वैरिएंट के पहले केस की पुष्टि के बाद 3 दिसंबर तक यानी सिर्फ 10 दिनों में ही नया स्ट्रेन 35 देशों तक फैल चुका है। दुनियाभर में अब तक इसके करीब 400 केस सामने आ चुके हैं।
भारत में दूसरी लहर के लिए कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को कारण बताया गया था। नए वैरिएंट की रफ्तार को लेकर एक्सपर्ट्स भी चेतावनी दे चुके हैं कि ओमिक्रॉन डेल्टा स्ट्रेन से भी 10 गुना ज्यादा रफ्तार से फैल सकता है। नए वैरिएंट को लेकर दुनियाभर में खौफ का माहौल है और एक बार फिर से पाबंदियों का दौर भी शुरू हो चुका है।
आइए जानते हैं कोरोना के इस नए वैरिएंट से जुड़ी 7 बड़ी बातें जो आपको जानना जरूरी है...
1. ओमिक्रॉन क्या है और इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न क्यों बताया गया?
कोरोना (SARS-CoV-2) के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (B.1.1.529) का पहला केस 24 नवंबर 2021 को साउथ अफ्रीका में मिला। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसकी जांच के बाद इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) की श्रेणी में रखा है। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओमिक्रॉन दुनिया में कहर बरपा चुके डेल्टा वैरिएंट से कहीं ज्यादा तेजी से म्यूटेशन करने वाला वैरिएंट है।
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ओमिक्रॉन में कुल 50 म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमें से 30 म्यूटेशन तो उसके स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं। स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही कोरोना वायरस इंसानी शरीर में प्रवेश के रास्ते खोलता है। इसकी तुलना में डेल्टा के S प्रोटीन में 18 म्यूटेशन हुए थे।
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ओमिक्रॉन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में भी 10 म्यूटेशन हो चुके हैं, जबकि डेल्टा वैरिएंट में केवल 2 ही म्यूटेशन हुए थे। रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन वायरस का वह हिस्सा है जो इंसान के शरीर के सेल से सबसे पहले संपर्क में आता है।
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2. क्या मौजूदा टेस्ट मैथड से ही ओमिक्रॉन की पहचान मुमकिन है?
WHO का मानना है कि SARS-CoV2 के नए वैरिएंट के पहचान के लिए मौजूदा टेस्ट मैथड RT-PCR सही है। RT-PCR विधि शरीर में वायरस में विशिष्ट जीन का पता लगाती है, जैसे स्पाइक (S), ईनवेलॉप्ड (E) और न्यूक्लियोकैप्सिड (N)। ओमिक्रॉन में स्पाइक जीन बहुत अधिक म्यूटेट होता है। ऐसे में इससे पहचान आसान हो जाती है। हालांकि, इसकी पूरी तरह से पुष्टि के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग जरूरी है।
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3. नए वैरिएंट को लेकर सतर्क रहना कितना जरूरी?
WHO ने तमाम जांच के बाद ओमिक्रॉन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) कैटेगरी में रखा है। यानी यह वैरिएंट काफी तेजी से फैलता है। यह बताना जरूरी है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का म्यूटेशन, ट्रांसमिशन की गति और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने की क्षमता को देखकर इसे VOC कैटेगरी में रखा गया है।
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वैक्सीन बनाने वाली कंपनी मोर्डना और कई एक्सपर्ट्स इस बात का भी दावा कर रहे हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट पर मौजूदा वैक्सीन कारगर नहीं है। इस पर कई तरह के दावे हैं लेकिन मौजूदा व्यवस्था के तहत ही इसे रोकने को लेकर काम किया जा रहा है। हालांकि कई कंपनियां इसके बूस्टर डोज को लेकर भी काम कर रही हैं। हालांकि कई सवाल अब भी हैं जिन पर रिसर्च जारी है।
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4. हमें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
जैसा की हमने पहले ही बताया कि मौजूदा व्यवस्था के तहत ही इस वैरिएंट को रोकने के प्रयास जारी हैं। तेजी से दोनों वैक्सीन बढ़ाने और टेस्ट की प्रक्रिया को और तेज करके इस वैरिएंट को बढ़ने से रोका जा सकता है। अच्छी तरह मास्क पहनने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना और घर-ऑफिस में अच्छी तरह वेंटिलेशन बनाए रखना इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका है। कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर का पालन करना जरूरी है।
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5. क्या कोरोना की तीसरी लहर आएगी?
दक्षिण अफ्रीका के बाद नया वैरिएंट 34 देशों तक पहुंच चुका है। इसकी बीमारी की गंभीरता भी अभी स्पष्ट नहीं है। इसलिए यह कितना खतरनाक हो सकता है, यह कहना जल्दबाजी होगी। भारत में भी इसके दो केस कर्नाटक में मिल चुके हैं।
चुकी देश में डेल्टा वैरिएंट और वैक्सीनेशन की तेज गति से इस वैरिएंट के बिहेवियर को लेकर कुछ भी साफ नहीं है। हाई सेरोपॉजिटिविटी यानी लोगों में एंटीबॉडी भी इसके खतरे को कमजोर करती है। हालांकि इसके वैज्ञानिक प्रमाण को लेकर काम चल हर है। इसके बाद ही सही जानकारी सामने आएगी।