ओमीक्रोन के बढ़ते संकट के बीच असेंबली चुनाव टालने की मांग के बीच चुनाव आयोग ने फैसला लिया

 ओमीक्रोन के बढ़ते संकट के बीच असेंबली चुनाव टालने की मांग के बीच चुनाव आयोग ने फैसला लिया

ओमीक्रोन के बढ़ते संकट के बीच असेंबली चुनाव टालने की मांग के बीच चुनाव आयोग ने फैसला लिया अगले सप्ताह उसकी टीम उत्तर प्रदेश जाकर हालात का जायजा लेगी। उसके बाद ही इस मामले में कोई ठोस फैसला लिया जाएगा। सीईसी सुशील चंद्रा ने कहा कि चुनाव आयोग अगले सप्ताह इस बारे में कोई फैसला लेगा। उससे पहले यूपी जाकर हालात देखेंगे।
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असेंबली चुनाव टालने की चर्चा ने तब तूल पकड़ा जब ओमिक्रॉन के बढ़ते प्रभाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जताई। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने सरकार और चुनाव आयोग से अपील की कि कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों की चुनावी रैलियों पर रोक लगाई जाए। विधानसभा चुनाव के लिए जिस तकरह का जमावड़ा हो रहा है वो चिंताजनक है।

जस्टिस यादव ने यहां तक कहा कि चुनावी सभाएं एवं रैलियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। प्रधानमंत्री चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है। हाईकोर्ट ने कहा कि संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनाव को एक-दो माह के लिए टाल दें, क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी।

कोर्ट ने कहा कि भीड़ को नहीं रोका तो परिणाम दूसरी लहर से भी भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं। दूसरी लहर में लाखों की संख्या में लोग कोरोना संक्रमित हुए और बहुत से लोगों की मौत हुई। उस दौरान यूपी पंचायत चुनाव के साथ पश्चिम बंगाल और असम जैसे सूबों में हुए चुनाव ने लोगों को काफी संक्रमित किया, जिससे लोग मौत के मुंह में गए। यूपी चुनाव से पहले एहतियाती कदम नहीं उठाए गए तो हालात दूसरी लहर से भी ज्यादा बदतर हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि उस समय लकीर पीटने के अलावा कुछ और नहीं बचेगा।

उधर, केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा कि आचार संहिता लागू करने से पहले आयोग को चुनावों के बारे में फैसला लेना होगा। जब आयोग संहिता लागू करने का फैसला लेता है तब उन्हें फैसला करना होगा है कि चुनाव कराए जाएं। ध्यान रहे कि अगले साल के शुरू में यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में असेंबली चुनाव कराए जाने प्रस्तावित हैं। लेकिन ओमीक्रोन जिस तरह से पैर पसार रहा है उसने कई तरह की चिंता सामने ला दी हैं। इससे पहले जब बंगाल समेत दूसरे सूबों में चुनाव हुए थे तो दूसरी लहर का कहर सभी ने देखा था। उस दौरान चुनावी रैलियों की वजह से भी कोरोना बेकाबू हुआ।

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