नए वैरिएंट से इन्फेक्शन होने पर बढ़ेगी कोरोना के खिलाफ 14 गुना क्षमता, वैक्सीनेटेड हैं तो डबल होगी इम्यूनिटी

 नए वैरिएंट से इन्फेक्शन होने पर बढ़ेगी कोरोना के खिलाफ 14 गुना क्षमता, वैक्सीनेटेड हैं तो डबल होगी इम्यूनिटी


कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ के केस भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं। अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओमिक्रॉन संक्रमित लोगों पर की गई रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।

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इसके मुताबिक, ओमिक्रॉन संक्रमण झेल चुके लोगों के शरीर में कोविड के किसी भी वैरिएंट से लड़ने की ज्यादा क्षमता तैयार होती है। इस रिसर्च के ट्रायल में 15 वैक्सीनेटेड और अनवैक्सीनेटेड लोगों को शामिल किया गया, जो ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित हो चुके थे।


रिसर्च से पता चला कि ओमिक्रॉन संक्रमण के बाद शरीर में फिर से ओमिक्रॉन से लड़ने की क्षमता में 14 गुना इजाफा होता है। वहीं घातक डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ लड़ने की क्षमता में करीब 4.4 गुना का इजाफा होता है। वैक्सीन नहीं लेने वालों की तुलना में वैक्सीनेटेड लोगों की इम्यूनिटी का रिस्पॉन्स ज्यादा अच्छा देखने को मिला है।


अमेरिका के टेक्सास में काम करने वाले और CovidRxExchange के फाउंडर डॉक्टर शशांक हेड़ा कहते हैं कि वैक्सीनेटेड लोगों को अगर ओमिक्रॉन का संक्रमण होता है तो उनकी इम्यूनिटी को और भी ज्यादा बूस्ट मिलता है, इसलिए फुली वैक्सीनेटेड होना बहुत ही जरूरी है।


सवाल- ओमिक्रॉन इन्फेक्शन पर हाल में एक अहम रिसर्च आई है, इसमें आम आदमी के लिए सबसे खास बात क्या पता चली है?

जवाब- ये रिसर्च साउथ अफ्रीका से आई है। इसमें ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी का अध्ययन किया गया है। रिसर्च से खास बात ये पता चली है कि ओमिक्रॉन संक्रमण के बाद तैयार हुई एंटीबॉडीज डेल्टा रीइन्फेक्शन को रोक सकती हैं। मतलब ओमिक्रॉन इन्फेक्शन होने के बाद व्यक्ति भविष्य में कोविड संक्रमण से ज्यादा सुरक्षित हो जाता है। हालांकि अभी इस रिसर्च का सैंपल साइज काफी छोटा है, अभी बड़े सैंपल के साथ और रिसर्च की जरूरत है, लेकिन अभी जो निष्कर्ष सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं।


सवाल- क्या अगर कोई व्यक्ति ओमिक्रॉन संक्रमित हो जाता है तो फिर उसे डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने की आशंका कम हो जाती है?

जवाब- ओमिक्रॉन और डेल्टा दोनों ही कोरोना वायरस के वैरिएंट हैं, ये दोनों अलग-अलग तरह के म्यूटेशन से बने हैं। दोनों म्यूटेशंस को WHO ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न यानी चिंताजनक बताया है। अभी जो हालात हैं उसमें लग रहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट आने वाले कुछ दिनों में डेल्टा वैरिएंट की जगह ले लेगा। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि ओमिक्रॉन डेल्टा के मुकाबले कई गुना तेजी से फैलता है, लेकिन साउथ अफ्रीका और दूसरे देशों से आने वाला डेटा बताता है कि ओमिक्रॉन से हल्का संक्रमण ही होता है और हॉस्पिटलाइजेशन भी काफी कम होता है। हाल में आई रिसर्च से पता चला है कि अगर आप ओमिक्रॉन से संक्रमित होते हैं तो इससे तैयार हुई एंटीबॉडी आपको डेल्टा वैरिएंट से लड़ने के लिए ज्यादा मजबूती देगी।

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