वो बुरी तरह घायल थे, पानी मांगा; अफसोस देश के लिए इतना कुछ करने वाले को पानी तक नहीं दे पाया, रातभर सो नहीं सका

 वो बुरी तरह घायल थे, पानी मांगा; अफसोस देश के लिए इतना कुछ करने वाले को पानी तक नहीं दे पाया, रातभर सो नहीं सका

हादसे के दूसरे दिन CDS जनरल बिपिन रावत के आखिरी पल की कहानियां सामने आ रही हैं। कई ऐसे चश्मदीद हैं, जिन्होंने घायल जनरल रावत को देखा, पर पहचान न सके। ऐसे ही एक शख्स ने बताया कि हादसे के बाद एक आदमी बेहद घायल दिखा। जिंदा था, पानी मांग रहा था, लेकिन हमारे पास देने को पानी तक नहीं था। बाद में पता चला कि वह घायल व्यक्ति जनरल बिपिन रावत हैं। इसका मुझे ऐसा सदमा लगा कि रातभर सो नहीं सका। सोचिए, एक इंसान जिसने देश के लिए इतना कुछ किया हो, उसे आखिरी वक्त में पानी तक न मिले…



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चश्मदीद की ऐसी ही कहानियां…

पहला चश्मदीद: फोटो देखी तो पता चला कि वो कौन हैं

कुन्नूर के रहने वाले कॉन्ट्रैक्टर शिवकुमार हादसे के वक्त नीलगिरी की पहाड़ियों पर चाय बागान में काम करने वाले अपने भाई से मिलने गए थे। शिवकुमार ने बताया, 'मैंने देखा आग की लपटों में घिरा हेलिकॉप्टर गिर रहा था। धुएं और इलाके की वजह से घटनास्थल पर पहुंचने में मुश्किल हुई। 3 बॉडी जलते हुए हेलिकॉप्टर से गिरीं। जब वहां पहुंचे तो दो बॉडी हेलिकॉप्टर के बाहर पड़ी हुई थीं। वे इतना जल गए थे कि पहचानना भी मुश्किल था। एक आदमी जिंदा था। हमने उससे कहा कि परेशानी की बात नहीं है। हम मदद के लिए आए हैं। उसने पीने के लिए पानी मांगा।

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इसके बाद एक चादर में रेस्क्यू टीम और लोकल लोग उस आदमी को लेकर चले गए। 3 घंटे बाद किसी ने मुझे उस व्यक्ति की फोटो दिखाई। बताया कि जिस आदमी से तुम बात कर रहे थे, वो जनरल बिपिन रावत हैं। मुझे भरोसा नहीं हुआ कि जिस आदमी ने देश के लिए इतना कुछ किया, उसे पानी भी नहीं मिल सका। यह सोचकर मैं रातभर सो नहीं पाया।'

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दूसरा चश्मदीद: एक आदमी मदद के लिए चिल्ला रहा था

घटनास्थल के करीब ही रहने वाले एस दास ने बताया कि हादसे के बाद वहां का टेम्परेचर काफी बढ़ गया था। हम लोग समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें। हमने पेड़ों की टहनियां टूटने की आवाज सुनीं। एक आदमी मदद के लिए चिल्ला रहा था। उसके बाद ऐसा धमाका हुआ जैसे सिलिंडर फटा हो।


तीसरा चश्मदीद: मेरे घर के करीब ही जल रहा था हेलिकॉप्टर

मौके पर मौजूद शंकर ने कहा, 'मेरे घर से महज 2 मीटर दूर चॉपर क्रैश हुआ। किस्मत थी कि मैं और बच्चे वहां नहीं थे। जलते हुए हेलिकॉप्टर के आसपास स्थित घरों में भी कोई नहीं था। हादसे के बाद पुलिस ने 500 मीटर के पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी। वहां रहने वालों के अलावा किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी। इंडियन एयरफोर्स के अफसर चॉपर के टुकड़े बटोर रहे थे।'

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चौथा चश्मदीद: पेड़ों में फंसे हेलिकॉप्टर में आग लगी और वो गिर गया

पी चंद्रिकाकुमार ने बताया, 'दोपहर का वक्त था, तभी मैंने आवाज सुनी। मैं घर के बाहर भागा और देखा कि एक हेलिकॉप्टर पेड़ों में फंस गया है। इसके बाद उसमें आग लग गई और वह नीचे गिर पड़ा। मैंने कुछ लोगों को चीखते हुए भी सुना था।'

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